Curative Petition |
curative petition meaning
- curative petition meaning in hindi - उपचारात्मक याचिका(क्यूरेटिव पिटीशन)
- Curative Petition शब्द का जन्म ही Cure शब्द से है
क्यूरेटिव पिटीशन क्या है ?
- वास्तव में Curative Petition शब्द का जन्म ही Cure शब्द से है, जिसका मतलब उपचार होता है।
- क्यूरेटिव पिटीशन में ये बताना ज़रूरी होता है कि आख़िर वो किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती कर रहा है।
- क्यूरेटिव पिटीशन किसी सीनियर वकील द्वारा सर्टिफाइड होना ज़रूरी होता है, जिसके बाद इस पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट के तीन सीनियर मोस्ट जजों और जिन जजों ने फैसला सुनाया था, उनके पास भी भेजा जाना ज़रूरी होता है।
- अगर इस बेंच के ज़्यादातर जज इस बात से इत्तेफाक़ रखते हैं कि मामले की दोबारा सुनवाई होनी चाहिए तब क्यूरेटिव पिटीशन को वापस उन्हीं जजों के पास भेज दिया जाता है।
CONCEPT OF CURATIVE PETITION
- क्यूरेटिव पिटीशन तब दाखिल की जाती है, जब किसी मुजरिम की राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है।
- ऐसे में क्यूरेटिव पिटीशन उस मुजरिम के पास मौजूद अंतिम मौका होता है, जिसके ज़रिए वह अपने लिए सुनिश्चित की गई सज़ा में नरमी की गुहार लगा सकता है इसमें फैसला आने के बाद मुजरिम के लिए आगे के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं।
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- आमतौर पर राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के बाद कोई भी मामला खत्म हो जाता है,
- लेकिन 1993 के बॉम्बे सीरियल ब्लास्ट मामले में दोषी याकूब अब्दुल रज़्ज़ाक मेमन के मामले में ये अपवाद हुआ और राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई करने की मांग स्वीकार की थी।
- क्यूरेटिव पिटीशन की अवधारणा साल 2002 में रूपा अशोक हुरा बनाम अशोक हुरा और अन्य मामले की सुनवाई के दौरान हुई बहस के दौरान जब ये पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद भी क्या किसी दोषी को राहत मिल सकती है नियम के मुताबिक ऐसे मामलों में पीड़ित व्यक्ति रिव्यू पिटीशन डाल सकता है।
- लेकिन सवाल ये पूछा गया कि अगर रिव्यू पिटीशन भी खारिज कर दिया जाता है तो क्या किया जाए. तब सुप्रीम कोर्ट अपने ही द्वारा दिए गए न्याय के आदेश को फिर से उसे दुरुस्त करने लिए क्यूरेटिव पिटीशन की धारणा लेकर सामने आई।
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- संसद द्वारा बनाये गए किसी कानून के या अनुछेद 145 के अधीन बनाये गए किसी नियम के उपबंध के अधीन रहते हुए सुप्रीम कोर्ट के पास अपने सुनाये गए निर्णय या दिए गए आदेश का पूनर्विचार या पुनरावलोकन करने की शक्ति प्राप्त है।
- भारत के संविधान में अनुच्छेद 137 में सर्वोच्च न्यायालय के पास किसी भी निर्णय की समीक्षा करने की शक्ति प्राप्त है।
- सुप्रीम कोर्ट के नियमों, 1966 के तहत पूनर्विचार याचिका को फैसले की तारीख से 30 दिनों के अंदर दाखिल करने की आवश्यक होता है। जबकि क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने के लिए किसी निश्चित समय सिमा की आवश्यकता नहीं होती है
- निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका या रिव्यू पिटीशन को खरिज कर दिया है इससे पहले पिछले साल 9 जुलाई को इस मामले के तीन दोषियों की भी पुनर्विचार याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है।
- निर्भया कांड में मौत की सजा पाए चार में से दो गुनहगारों की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगी। क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच 14 जनवरी को सुनवाई करेगी।
- बेंच में जस्टिस एनवी रमना, अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन, आर भानुमति और अशोक भूषण शामिल होंगे। सुनवाई दोपहर बाद 1:45 बजे होगी। क्यूरेटिव पिटीशन की चैंबर में ही सुनवाई की जाती है। किसी भी व्यक्ति के पास यह आखिरी कानूनी विकल्प होता है।
- दो दोषियों विनय शर्मा और मुकेश कुमार ने मौत की सजा के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है। दो अन्य दोषियों अक्षय और पवन ने क्यूरेटिव पिटीशन का कानूनी विकल्प नहीं आजमाया है। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 7 जनवरी को चारों के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया था। चारों को 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी दी जानी है।