मार्केन्शिया का जीवन चक्र

मार्केन्शिया का जीवन चक्र

लैंगिक जनन अण्डयुग्मकीय (Oogamous) होता है। नर एवं मादा जननांग क्रमशः पुंधानी (Antheridum) एवं स्त्रीधौनी (Archegonium) होते हैं।

पौधे उभयलिंगाश्रयी (Monoecious) (दोनों जननांग एक ही पौधे पर) या एकलिगांश्रयी (Dioecious) (नर व मादा पौधे अलग-अलग पौधों पर) होते हैं। जननांग बहुकोशीय होते हैं तथा बन्ध्यावरण (Sterile jacket) द्वारा ढके होते हैं।

पुंधानी (Antheridium) मुग्दाकार होती है। इसमें अनेक नर युग्मक, पुंमणु (Antherozoids) बनते हैं। सूक्ष्म , कुण्डलित तथा द्विकशाभिकीय (Biflagellated) होता है।

स्त्रीधानी (Archegonium) सुराहीनुमा (Flask shaped) होती है। इसकी ग्रीवा (Neck) में 4 या अधिक ग्रीवानाल कोशिकाएँ (Neck canal cells) स्थित होती है। स्त्रीधानी की अण्डधा (Venter) में एक अण्डधानाल कोशिका (Venter canal cell) एवं एक बड़ी कोशिका अण्ड (Egg) होती है।

निषेचन के लिए जल आवश्यक है। परिपक्व स्त्रीधानी से ग्रीवा नाल कोशिकाएँ एवं अण्डधानाल कोशिकाएँ समाप्त हो जाती है। रसायनानुचलन (Chemotactic attraction) के द्वारा पुमणुं, स्त्रीधानी में प्रवेश कर जाते हैं। अन्त में एक पुमणुं अण्ड से मिलकर द्विगुणित युग्मनज (Zygote) बनाता है।

युग्मनज (Zygote), स्त्रीधानी की अण्डधा में समसूत्री विभाजन (Mitosis) द्वारा भ्रूण का निर्माण कर लेता है।भ्रूण (Embryo) के द्वारा बीजाणुद्भिद (Sporophyte) बनता है।

बीजाणुद्भिद पूर्ण या आंशिक रूप से यग्मकोद्भिद (Gametophyte) पर पोषण के लिए निर्भर रहता है।बीजाणुद्भिद पाद (Foot), सीटा (Seta) और संम्पुटिका (Capsule) में या केवल संम्पुटिका में विभेदित हो जाता है।

संम्पुटिका में बीजाण्ड मातृ कोशिकाओं में अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) द्वारा अगुणित बीजाणु (Haploid spores) बनते हैं। बीजाणु सूक्ष्म एवं समान अकार के होते हैं। अत: ब्रायोफाइटा के पौधे समबीजाणुवीय (Homosporous) होते हैं। 

बीजाणु (Spore) अनुकूल वातावरण में अंकुरण करके नया पौधा बना लेता है। ब्रायोफाइटा में विषमरूपी पीढ़ी एकान्तरण पाया जाता है।

Previous
Next Post »