भोपाल गैस त्रासदी, 2 दिसंबर 1984 को मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल शहर में घटित हुई थी। यह दुनिया की इतिहास की सबसे बड़ी और सबसे घातक औद्योगिक आपदा मानी जाती है। इस आपदा के कारण, करीब 2500 से अधिक लोगों की मौत हो गई और लाखों लोगों ने इसके प्रभावों का सामना किया।
इस घटना की मुख्य वजह भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) के प्लांट में हुए विपरीत प्रयोगों और सुरक्षा उपेक्षाओं का नतीजा था। यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के प्लांट में संघर्ष कर रहे विभाजनवादी कार्यकर्ताओं ने ग्यारह टंकरों में स्टोर्ड मेथिल इजोसाइनेट (MIC) गैस को छोड़ दिया, जिससे इस अवांछित प्रक्रिया की सक्रियता बढ़ गई और वह उच्च तापमान और दबाव पर घटित होने लगी। इससे MIC गैस लगभग 40 टन गुब्बारों की तरह उभर आई और विस्फोटक रूप से छिड़क गई।
इस घटना के पश्चात, भोपाल शहर के आसपास के क्षेत्र में हवा में फैली गैस के कारण सैकड़ों लोग मौत के शिकार हुए, और लाखों लोग विभिन्न सामान्य और गंभीर बीमारियों का शिकार बने। इससे अगले कई सालों तक भोपाल और प्रभावित क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, और यह आपदा एक मानवीय और पर्यावरणीय आपदा के रूप में चिह्नित हुई।
भोपाल गैस त्रासदी के पश्चात, न्यायिक और न्यायिक संघ ने मामले की सुनवाई की, और अन्याय मुक्ति एवं आदान-प्रदान अधिनियम के तहत राशि देने का फैसला किया। यह मामला आज भी चर्चा का विषय है और भोपाल गैस त्रासदी को एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के रूप में माना जाता है।