Permanent Tissues(स्थायी उतक)

Permanent Tissues(स्थायी उतक)

  • स्थायी उतक की कोशिकाओं में प्राय: विभाजन- क्षमता समाप्त हो चुकी होती है। उतर्कीय विभेदन के फलस्वरूप ये निश्चित आकार के होकर कार्य करते हैं। स्थायी उतकों की कोशिकाएँ जीवित या मृत, पतली या मौटी भित्ति वाली तथा विभिन्न आकार व आकृति की हो सकती है।
स्थायी ऊतक (Permanent Tisue)- ये निम्लिखित प्रकार के होते हैं-

सरल ऊतक (Simple Tissues)

एक ही प्रकार की कोशिकाओं से साधारण ऊतक बनता है तथा ये समागी (homogencous) होते हैं।
ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं।

(A) मृदूतक या पैरंकाइमा (Parenchyma)

मृदूतक की कोशिकाएँ पतली भित्ति वाली, समव्यासीय तथा जीवित होती हैं। ये कोशिकाएँ मूल रूप से अण्डाकार, गोलाकार या बहुभुजाकार होती हैं लेकिन कभी-कभी कोणों पर अधिक वृद्धि हो जाने के कारण

ताराकृति जैसी दिखाई देती हैं जैसे कैना (Canna) । मृदूतक सामान्यतया पादप के मुलायम भागों में मिलते हैं। जब मृदूतक कोशिकाओं में हरित लवक होते हैं तब इन्हें हरित ऊतक (Chlorenchyma) कहते हैं।

कभी-कभी मृदूतक बड़े अन्तरकोशिकीय स्थल युक्त होने से स्पंज के हो कहते हैं ।जब मृदूतक के अन्तरकोशिकीय स्थानों में वायु भरी होती है तो इसे वायुतक (aernchyma) कहते हैं जैसे जलकुम्भी (Eichhornea) व अन्य जलीय पादपों के स्तम्भ व पर्णवृन्त ।

कभी-कभी कुछ मृदूतकीय कोशिकाएँ टेनिन, तेल व रवे आदि का निर्माण एवं संचय करने लग जाती है तब इन मृदूतक कोशिकाओं को विचित्र कोशिकाएँ (idioblast) कहा जाता है जैसे-निम्फिया व ट्रापा आदि।

कार्य (Functions)-

इन कोशिकाओं का मुख्य कार्य खाद्य पदार्थों को मण्ड, प्रोटीन तथा वसा आदि के रूप में संग्रहित रखना है।
कुछ मांसल (leshy) तनों तथा पत्तियों में मृदूतक कोशिकायें जलसंग्रह का कार्य करती हैं जैसे नागफनी तथा यूफो्बिया आदि।
कभी-कभी इन ऊतक्कों में क्तीरोप्लास्ट उत्पत्न हो जाता है तब इन्हें क्लोरेनकाइमा (chlorenchyma) कहते हैं। इन कौशिकाओं में प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रया के फसस्वरूप भोज्य पदार्थों का निर्माण होता है। 
जलीय पौथों में इन कोशिकाओं के मध्य में बड़े अन्तरकोशीय स्थान बन जाते हैं जिनमें वायु भरी रहती है। इन्हें वायु-गुहिकाएँ (air itics) कहते हैं तथा इस ऊतक को अब वायुतक (acranciryma) कहते हैं। बायु के होने से पौधे हल्के रहते हैं।
कभी-कभी इन कोशिकाओं में विभाजन की क्षमता आ जाती है जिससे ये पौथे की द्वितीयक वृद्धि (sccondary growth) तथा बाव भरने (hcaling of wounds) में सहायक होते हैं।

B) स्थूलकोण-ऊतक या कॉलेंकाइमा (Colcnchyma) 

इनकी कोशिकाएँ कुछ लम्बी व तिरछी अन्त्भित्ति (end wall) वाली होती हैं। अनुप्रस्थ काट में ये गोलाकार या अण्डाकार या बहुभुजाकारइनमें अन्तर कोशिकीय स्थल के सामने वाले कोणों पर कोशिका भित्ति अधिक मोटी व मध्यभाग में अपेक्षाकृत पतली होती है।
यह मोटाई भित्ति पर सेलुलोस व पैक्टिन के निक्षेपण के कारण होती है तथा भित्ति में कुछ साधारण गर्त (Simple pits) पाये जाते हैं। ये सजीव कोशिकाएँ सक्रिय जीव-द्रव्य वाली होती हैं तथा नवीन कोशिकाओं में हरित लवक भी हो सकते हैं।
स्थूलकोण ऊतक द्विबीजपत्री तनों तथा पर्णवृत्त के ठोक नीचे पाया जाता है। इस ऊतक का जड़ों व एकबीज-पत्री तनों में अभाव होता है।,
निक्षेपण के आधार पर स्थूलकोण ऊतक निम्नलिखित प्रकार के होते
(a) स्तरित (Lammcllar)- इनमें कोशिकाएँ अनेक परतों में विन्यासित रहती हैं और इनका विन्यास मुख्य रूप से कोशिकाओं की दो स्पर्श रेखीय भित्तियों पर ही पाया जाता है जैसे-सूरजमुखी तने में बाहरी वल्कुट।
(b) कोणीय (Angular)- इस प्रकार के ऊतक में कोशिकाएँ अनियमित रूप से विन्यासित होती है और निपेक्षण केवल कोशिकाओं के कोणों तक ही सीमित होता हैं जैसे कुकुरबीटा (Cucurbita) के तने में उभार के नीचे पाया जाने वाला ऊतक।
(c) रिक्तिका युक्त या नलिकाकार (tubular or Laumar) इस प्रकार के ऊतकों में अन्तर कोशिकीय स्थान होते हैं और निक्षेपण कोशिका भित्तियों के उन स्थानों तक सीमित रहता है जो इन अन्तरकोशिकी स्थानों को घेरे रहती है जैसे-ऐम्ब्रोसिया(Ambrosia) के तने में बाहरी वर्कुट।
ये तीन प्रकार के स्थूलकोण ऊतक किसी जाति विशेष या अंग विशेष तक ही सीमित नहीं रहते वरन् तीनों प्रकार एक ही अंग में भी मिलम सकते हैं।
कार्य (Functions)
इन ऊतकों की उपस्थिति के कारण पौधों के कोमल अंगों में दृढता तथा लचीलापन आ जाता है। अत: ये पौधे को तनन सामर्थ्य (tensile strength) प्रदान करते हैं।
कभी-कभी इनमें हरिमकण की उपस्थिति में प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया भी होती है जिससे भोज्य पदार्थ बनते हैं।

(C) दृढ़ ऊतक या स्क्लेरेंकाइमा (Sclermchyma)

यह पादप का मुख्य बलकृत ऊतक है। इनमें कोशिकाएँ प्रायः लम्बी । संकरी व नुकीले सिरों वाली होती हैं। इनकी कोशिका भित्ति लिग्निन (iशmin) का निक्षेपण होने से समान मोटाई वाली होती है। कोशिका भित्ति प्रायः इतनी अधिक मोटी हो जाती है कि कोशिका गुृहा लगभग बन्द ही हो जाती है।
कोशिका भित्ति में सीधे या तिरछे साधारण गर्त होते हैं। ये कोशिकाएँ लम्बी धागे के समान होने के कारण दृढ़
ऊतक रश (Sclerenchyma fibre) भी कहलाती है।
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